Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Monday, September 27, 2010

विलंबित मौन है न्याय पर , राम पर !

›
विलंबित मौन है न्याय पर , राम पर ! उन्होंने मस्जिद तोड़ी ये कहकर के वो उनका मंदिर थी उन्होंने मंदिर भी तोड़ दिया राम का आस्था का लोकतंत्र का...

लोकतंत्र बनाम जवाबदारी

›
वो तो चाहते है के मै लडू तुमसे और वो जीत जाए उनका काहिलपन उनकी लाचारी कैसे भी छुप जाए चाहे मंदिर जले मंदिर टूटे अस्मते लूटे या गिरे लाशें ...
Tuesday, September 21, 2010

जंगल का सलीका

›
मेरे एक सवाल पर बौखलाकर उसने सौ सवालों के जवाब ही दे डाले .. अकेले चने ने भांड फोड़ा क्योकि उसने ये कहावत नहीं पढ़ी होगी उसने तेवर दिखाए विर...
Wednesday, September 15, 2010

"नारी" होने की परिभाषा ...

›
वो ना कल मोहताज थी ना आज है मुफलिस किसी मर्द ने ही बेचे ख़रीदे होंगे उसके जेवर उसका बदन फिर उसके बचे खुचे वजूद को मिटाने के लिए ये चाल भी खू...
4 comments:
Monday, September 13, 2010

"नारी" और कितने छिद्रान्वेषण

›
नारी एक छेद भर नहीं है के तुम उढेल दो अपनी कुंठाएं और पूर्वाग्रह नारी बिस्तर भी नहीं है के तुम बिछा दो ढक दो तप्त नंगी सच्चाइयों को नारी खिल...
Thursday, September 9, 2010

मानव का ईतिहास

›
मानव का ईतिहास मानवता के ह्रास का भी दस्तावेज है इसे झूठ के पुलिंदो और अनगिनत लाशों से छुपा दिया गया है करोड़ो शब्दों की सुखी घास क...
3 comments:
Wednesday, September 1, 2010

"सत्यम शिवम् सुन्दरम"

›
"सत्यम शिवम् सुन्दरम " ये तीन शब्द हमेशा मानस में मथते रहते है , और भारतीय सनातन मनीषा में इनका गहरा लक्ष्य या सरोकार कला से रहा ह...
2 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
Tarun / तरुण / தருண்
View my complete profile
Powered by Blogger.