Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Friday, October 22, 2010

"जय श्री कृष्ण "

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"भागवत गीता " के नित रसपान के बाद , अनायास ही अन्य संदर्भो में जब दुबारा झांकने का अवसर मिला तो पाया कि उन संदर्भो में झांकने कि द...
Thursday, October 14, 2010

तिलिस्मों के देश में

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तिलिस्मों के देश में अब तक बस तिलिस्म ही बुने गए है नींद और ख्वाब जो आजकल मुफ्त मिलते है बाटे जाते है रोटी से सस्ती कीमत पर थोक की थोक टीवी ...
Monday, October 11, 2010

आयाम से परे ...हम - तुम !

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आयाम से परे ...हम - तुम ! मेरी सीमाएं मुझे बांधती है तुमसे और तुम्हे लगता है कि मैं तुम्हारी सीमाओं में बंध सकूंगा किसी तरह कभी तुम्हारा यही...
2 comments:
Saturday, October 2, 2010

फैसले पर प्रतिक्रिया !

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एक ठेलेवाला गरिया रहा था दो दिन की रोजी के घान पर एक बच्चा चिंतित था पढाई में पिछड़ने पर हालाकि कुछ बच्चे खुश थे के खेल पा रहे थे पास पड़ोस ...
Monday, September 27, 2010

विलंबित मौन है न्याय पर , राम पर !

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विलंबित मौन है न्याय पर , राम पर ! उन्होंने मस्जिद तोड़ी ये कहकर के वो उनका मंदिर थी उन्होंने मंदिर भी तोड़ दिया राम का आस्था का लोकतंत्र का...

लोकतंत्र बनाम जवाबदारी

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वो तो चाहते है के मै लडू तुमसे और वो जीत जाए उनका काहिलपन उनकी लाचारी कैसे भी छुप जाए चाहे मंदिर जले मंदिर टूटे अस्मते लूटे या गिरे लाशें ...
Tuesday, September 21, 2010

जंगल का सलीका

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मेरे एक सवाल पर बौखलाकर उसने सौ सवालों के जवाब ही दे डाले .. अकेले चने ने भांड फोड़ा क्योकि उसने ये कहावत नहीं पढ़ी होगी उसने तेवर दिखाए विर...
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