Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Monday, December 27, 2010

नव वर्ष तुम कैसे हो ?

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नव वर्ष तुम कैसे हो ? नया वर्ष बस आने को था तो सोचा हाल चाल पुछू पुछू कि इस बरस कैसा रहेगा लाभ हानि जमा खर्च का अनसुलझा गणित और कैसी तबियत र...
Sunday, December 26, 2010

पताकाएं

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आकाश छूती लहराती इठलाती शिखर पर आच्छादित है मुखर है आह्लादित भी मानो वही चरम हो समस्त उत्कर्ष का वैभव का संकल्प का नीचे पड़ी है पुरानी पताका...
Tuesday, December 21, 2010

मोक्ष की शतरंज

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एक प्यादा पडा था उपेक्षित कुछ टूटे खिलौनों के पास दोस्त ने उठाया पूछा होकर उदास क्यों मित्र तुम तो बुद्धिजीवी हो भावनाओं से ऊपर क्या कोई व्य...
Thursday, December 16, 2010

राम !

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राम ! शिव के लिए बस एक बार और किसी वाल्मीकि अहिल्या या शबरी के लिए कोटि बार आखिर इस नाम रटन में ऐसा क्या नशा है कि हनुमान अब भी जी रहे है लड...
Friday, November 26, 2010

तंज

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२६/११ या कुछ और भी इस तरह उस तरह एक दिन हम केलेंडर के हर पन्ने को भर देंगे अपने नपुंशक मौन धारण और मौत पर जश्न जैसे जलसों से जहा फ़िल्मी सित...
Friday, October 22, 2010

"जय श्री कृष्ण "

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"भागवत गीता " के नित रसपान के बाद , अनायास ही अन्य संदर्भो में जब दुबारा झांकने का अवसर मिला तो पाया कि उन संदर्भो में झांकने कि द...
Thursday, October 14, 2010

तिलिस्मों के देश में

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तिलिस्मों के देश में अब तक बस तिलिस्म ही बुने गए है नींद और ख्वाब जो आजकल मुफ्त मिलते है बाटे जाते है रोटी से सस्ती कीमत पर थोक की थोक टीवी ...
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