Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Monday, January 31, 2011

कागार

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आकार ले रहा था बवंडर सागर के उस पार जिसका पानी सदियों से उपेक्षित मानव अश्रुओं से कड़ुवा गया है अभी असंतोष दूर है अपनी दहलीजों से मगर नहीं ट...
Sunday, January 30, 2011

हे राम ! ये हरी पत्ती , लाल पत्ती ! !!

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तुम राम कह कर गए कुछ काम भी कहा तो था ... मगर तुम्हारी तस्वीरों से तिजोरिया भरते भरते तुम्हारे आदर्शों जीवन मूल्यों को भी बेच दिया हमने महंग...
Tuesday, January 25, 2011

गणतंत्र दिवस पर खिचड़ी की प्रसादी

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मैंने बचपन से सुभाष और भगत को घुट्टी में पिया है मुझे पता है तिलक ने गांधी ने इस देश के लिए क्या किया है आज उस भोगे हुवे अतीत पर रचा गया यथा...
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कैसा गणतंत्र ये !

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ना नर रहे ना नरेश ही बस गणतंत्र है जिसके कई गूढ़ मन्त्र है जो साध लिए तो होओगे उस तरफ जहां सरकार है व्यापार है वरना इधर जहां सब लाचार है | व...
Monday, January 24, 2011

संविधान की पुण्यतिथि पर

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शोक सभा होगी लालकिले पर तिरंगा फहराएंगे नए नवाब अति विशिष्ट अतिथियों और हद दर्जे कि सुरक्षा में होगी परेड जिसमे नहीं दिखाया जाएगा गरीब किसान...
Saturday, January 22, 2011

मौलिक अधिकार

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आम नागरिक होना हमारा मौलिक अधिकार है और नेता चुनना हमारा मौलिक कर्तव्य सो किसी भी अन्य अधिकार जैसे हम इसे भी एन्जॉय करते है और कर्तव्य अनेको...
Friday, January 14, 2011

बसंत गुमनाम है !

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उसे सब बसंत कहते है , अपनी पसंद भरते है , उसकी बाते भी करते है , इंतज़ार करते है , इसरार भी मगर कोई उससे नहीं पूछता कि क्यों बसंत उदास रहता ...
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