Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Monday, February 28, 2011

अजब बन्दर बाट है साहब [:)]

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बजट आते रहेंगे जैसे आजादी के बाद दसियों बार आये और बीत गए बीत गए सो बीत गए अब उनका कोई भान नहीं ये वाला नया है नया है मगर पुराना है नया है क...
Friday, February 25, 2011

फाटक रहित रेलवे क्रासिंग

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देश खडा है बैलगाड़ी में लादे अपेक्षाओं के अनबिके धान और निचुड़े पसीने वाला पिरोया हुवा किसान/ मजदूर इस ओर जिधर से पगडंडी गाँव को जाती है उधर...
Thursday, February 24, 2011

सोचता हूँ

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सब ऐसा ही क्यों है बदलता है तो बदलता क्यों है जो थमा है बदलता क्यों नहीं है अजीब सी तंद्रा उदासी है चहु ओर छाई है जो हर बदलाव की खबर भर से ब...
Monday, February 14, 2011

दिव्य प्रेम एक ही है, "श्री राधेकृष्ण" का

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| प्रेम को प्रेम ही कहे तो दुराग्रह और क्लिष्टता का शमन होता है , भ्रान्ति भी नहीं रहती | "प्रेम" के आरम्भ में बड़ी सुन्दर प्रतीति...
Tuesday, February 8, 2011

बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं !

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वन्दे वाणी विनायकौ |
Thursday, February 3, 2011

आज से , अभी से...यही से |

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इस देश को एक झंडे एक नक़्शे एक भाषा और एक भाव में देखना असंभव है | जब तक कोई आक्रमण ना हो विजय ना हो | युद्ध ही मात्र विकल्प है यदि तो युद्ध...
Wednesday, February 2, 2011

दोस्ती की दुनिया

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खुशगवार मौसम में जैसे तबियत भी और मौका भी दस्तूर भी ऐसी खुशनसीबी सा होता है दोस्त | जब गम से और दुनियावी थकावट या बनावटों से उकताई आँखे मुंद...
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