Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Thursday, May 19, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा - भाग २

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क्रमश:  भाग १   से  आगे    जनदेव के लिए समाधि के  वह छ: दशक  यू ही बीत गए  सोते संबल के  सब क्षण में रित गए  जैस...
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Wednesday, May 18, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा भाग १

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   सोये थे जनदेव  भोगनिन्द्रा में तन्मय हो  लिप्त थे  नित्य क्रीडा में  तभी  भ्रष्टा सुर आ धमाका  ठीक सिर पर  प्रभु ज...
Sunday, May 15, 2011

उसमे वो आग अभी बाकी है

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खबरे पढ़ कर  जी करता है  अखबार जला दू  ख़ुदकुशी कर लू  गोली ही मार दू  समाज के नासूरों को  फिर  कुछ सोच कर  रोता हूँ हँसता हूँ  मन बदल लेत...
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Thursday, May 12, 2011

अदद एक ईमानदार रचना के लिए

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प्रयास रत हूँ मैं  जूझ रहा हूँ  स्वयं से  अपनो से  परायों से  व्यवस्था से  कि  लिख सकू  चिर प्रतीक्षित  ईमानदार रचना  जिसमे  उघाड़ दूँ  स्...
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Thursday, May 5, 2011

कठिन है मुसलमां होना

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रोज खबरों पर  मिडिया में  खुद को देखते  पढ़ते  सुनते  समझ  बौराने लगी है   एक मेरे सिवा  सब को  फ़िक्र है  मेरी नहीं  मेरे मजहब  और  उस प...
Tuesday, May 3, 2011

वादा रहा जिंदगी !

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बहुत बैचैन हूँ  बेसब्र हूँ  कुछ कह ना बैठूं  कर ना जाऊं  ऐसा  कि  पछताना पड़े  मुझे  और  मेरे अपनो को  बहुत अरमां  संजोये है  जिंदगी  तेरे...
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Wednesday, April 27, 2011

करवट समय की

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समय  ऊंट सा  चला जा रहा है  संवेदना रहित  निर्जन  अमानुष  शुष्क  विस्तार में  रस की  चंद बूंदों को  जहा  फंदे बनाकर  रिझाया जा रहा है ... ...
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