Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Wednesday, June 8, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा - भाग ३

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क्रमश:  भाग  २   से  आगे   ना दिल्ली ही नयी थी  ना जनदेव दिल्ली में नए थे  पर पतिता राजनीति के  पैतरे हर पग नए थे  बहुत पहले  छल से  संविधा...
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Tuesday, June 7, 2011

मिथक को पोसते हम इंडियन

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ना एक अद्वितीय नाम ही  दे पाए विश्व को  उसने कहा इंडियन  और हम  इंडियन हो गए  कुछ नाखुदा सरफिरे  आधी रात को  बैठे और जमीन बाट आये  बोले  य...
Monday, June 6, 2011

अर्धसत्य की लाश सा अधमरा लोक(?)तंत्र

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भरे पेट गाल बजाता  भोग में डूबा है  भीड़ तंत्र  आबरू बेचता  मां  बहनों की  दलाली खाता हुवा  बेशर्म तंत्र  खून पीता  भूखी आंतो को  परोसता...
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Thursday, May 19, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा - भाग २

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क्रमश:  भाग १   से  आगे    जनदेव के लिए समाधि के  वह छ: दशक  यू ही बीत गए  सोते संबल के  सब क्षण में रित गए  जैस...
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Wednesday, May 18, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा भाग १

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   सोये थे जनदेव  भोगनिन्द्रा में तन्मय हो  लिप्त थे  नित्य क्रीडा में  तभी  भ्रष्टा सुर आ धमाका  ठीक सिर पर  प्रभु ज...
Sunday, May 15, 2011

उसमे वो आग अभी बाकी है

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खबरे पढ़ कर  जी करता है  अखबार जला दू  ख़ुदकुशी कर लू  गोली ही मार दू  समाज के नासूरों को  फिर  कुछ सोच कर  रोता हूँ हँसता हूँ  मन बदल लेत...
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Thursday, May 12, 2011

अदद एक ईमानदार रचना के लिए

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प्रयास रत हूँ मैं  जूझ रहा हूँ  स्वयं से  अपनो से  परायों से  व्यवस्था से  कि  लिख सकू  चिर प्रतीक्षित  ईमानदार रचना  जिसमे  उघाड़ दूँ  स्...
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