Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Saturday, December 31, 2011

विदा हो कोलाहल के बरस

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मर चुके चौराहे पर  ज़िंदा होती उम्मीद  आशा के निनाद  और जन कलरव के बरस  तुम  उम्मीद दे गए  तरसती आँखों को  सपना  बरसती बूंदों का सावन  वाद...
Friday, July 29, 2011

अनाम वेदनाओं के शिलालेख

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भूख और बीमारी  बलात्कार और हत्याएं  घुमाते है  वक्त का पहियाँ  जो  रक्त और मांस से  बोझिल हो चला है ... इन सब से बेखबर  दो वक्त डकारता  ...
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Friday, July 1, 2011

काल यात्री का अपहरण

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वह सफल हुवा  मन्त्र से  यंत्र तक  उसका स्वप्न  अब उड़ान पर था  वह  ईतिहास की  अनदेखी  उलझी हुई  ढलान पर था  उसका यान  ...
Wednesday, June 8, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा - भाग ३

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क्रमश:  भाग  २   से  आगे   ना दिल्ली ही नयी थी  ना जनदेव दिल्ली में नए थे  पर पतिता राजनीति के  पैतरे हर पग नए थे  बहुत पहले  छल से  संविधा...
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Tuesday, June 7, 2011

मिथक को पोसते हम इंडियन

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ना एक अद्वितीय नाम ही  दे पाए विश्व को  उसने कहा इंडियन  और हम  इंडियन हो गए  कुछ नाखुदा सरफिरे  आधी रात को  बैठे और जमीन बाट आये  बोले  य...
Monday, June 6, 2011

अर्धसत्य की लाश सा अधमरा लोक(?)तंत्र

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भरे पेट गाल बजाता  भोग में डूबा है  भीड़ तंत्र  आबरू बेचता  मां  बहनों की  दलाली खाता हुवा  बेशर्म तंत्र  खून पीता  भूखी आंतो को  परोसता...
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Thursday, May 19, 2011

अथ भ्रष्टासुर वध कथा - भाग २

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क्रमश:  भाग १   से  आगे    जनदेव के लिए समाधि के  वह छ: दशक  यू ही बीत गए  सोते संबल के  सब क्षण में रित गए  जैस...
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