Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Thursday, January 19, 2012

मिटटी में खेलता बचपन

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खो ना जाए मिटटी ही में  उसे पनपने दोगे ना ! अपने भागते जीवन में  उसे भी जगह दोगे ना ! कुचल तो नहीं दोगे ? अंधी दौड़ मे...
Saturday, January 14, 2012

सरकारी स्कूल

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राम रहीम  सरजू बिरजू  पोलियो वाली दुलारी  सब  कट्ठे ही  रास्ता देखते है  टीचर दीदी का  जिसके सम्मान से  गाव का लाला...
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Thursday, January 12, 2012

कुछ ख़त अजनबी पते पर अपनो के नाम ...

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पहला ख़त  मेरे गाव की मिटटी को  जिससे ही पाया  प्यार दुलार  जहा अंकित हुवे  स्वप्न  आज भी  अमिट है  हे मातृभूमि ! सदा वंदनीया ! तुझे प्रणा...
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Wednesday, January 11, 2012

अधूरे ख़त ...

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तुझे लिखूं तो क्या ! तेरे कितने नाम लिखूं  तू मेरा है  सिर्फ मेरा तो नहीं  तुझे क्या कहूँ  इसी उलझन में  कई ख़त  अधूरे ही  बिना नाम पता  स्...
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Tuesday, January 10, 2012

कागज़ की नाव है कविता

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कविता  जैसे कागज़ की नाव  समय सागर में  किनारे ढूंढ़ती सी  तैरती रहती है  नि:स्पृह ... छूती है  परम को सहज ही  नहीं छूती  समय को  या समय ही...
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Monday, January 9, 2012

एक नि:शब्द कविता के लिए !

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सोचता हूँ  एक कविता  ऐसी भी लिखूं  जिसमे  कोई शब्द ना हों  जो  शोर ना करे  सुनाई ना दे  दिखाई ना दे  जो शांत हो ... जैसे  बुद्ध है  जैसे स...
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Thursday, January 5, 2012

अंतर्युगांतरण

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मोर मुकुट धर  लकुटी धर  वंशीधर  पीताम्बर धर  गिरिधर  शंख चक्रधर  लीलाधर नटनागर  धरनीधर माधव  केशव अनंतजित  अनंतकर  रथ धर  रण कर  रणछोड़  रण...
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