Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Tuesday, January 31, 2023

ये बजट कुछ अज़ीब है

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        ये बजट कुछ अज़ीब है चुनाव भी करीब है    राहतों के गाँव में समर्थनों के भाव में बजट ये अबके ख़ास है चुनाव के आस पास है तेरा बजट मेरा बज...
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Monday, January 30, 2023

तुम्हारी बाँ !

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  आज फिर तुमसे दुःख अपने कुछ टूटे सपने  बाँट रही हूँ  बोया था एक बीज तुमने उसके विकसित कल्प तरु से थोड़े काँटे कुसंग कीट को सहला समझा  कर छा...
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Saturday, January 28, 2023

माँ नर्मदे ! उत्साह का आशीष दो माँ ...

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  माँ नर्मदे ! माँ नर्मदे !! आशा भरे उत्साह का आशीष दो माँ ! अंतस भरा तव औज से मन तम हरा रव मौज से श्रद्धा का तुम अवगाह हो  भक्ति का नित प्...
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Wednesday, January 25, 2023

सखी आयो , अबके ...बासंती गणतंत्र !

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    सखी आयो , फिर छायो, गदरायो , देख बसंत ! मनभावन , अति पावन , जन गण धन भरी लायो , अबके , नेक बसंत ! सखी आयो , मन भायो , बौरायो , देख बसंत...
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Monday, January 23, 2023

संविधान अधूरा है .... तुम्हारे हस्ताक्षर बिना !

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  उनके और तुम्हारे हस्ताक्षरों के बगैर ये संविधान अधूरा ही रहेगा ! वो जो शहीद हो गए सीमाओं पर अनाम ही वो जो मिल गए मिटा दिए गए इसी मिट्टी म...
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Sunday, January 22, 2023

महफ़िल बहस में है ...

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एक आग सी  लगी है  वतन को  और  वीर सारे  कही  बहस में है !   जला के  घर अपना  तापते ! बदहवास  सब , एक नई  बहस में है !! वतन प...
Friday, January 20, 2023

एक चुटकी आजादी की कीमत ....तुम क्या जानो ?

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आज  कहाँ समझ पाओगे  कीमत आजादी की  जिसके बदले  ज़रा सा टैक्स देते  कराह उठते हो तुम  तुम क्या जानो  जब लगान में  ...
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Tarun / तरुण / தருண்
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