Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Thursday, February 23, 2023

न्याय भी तो समय ही है ना .. ?

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(दृश्य एक ) ----- कोई  कब्र खोदता है  अँधेरे की  गाड़ता है  समय की निशानी  एक शिलालेख  जिस पर  बना है कोई चिन्ह  और नीचे लिखा है  "मुझे...
Sunday, February 19, 2023

सुलगता बसंत

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  अलाव सा जल उठा है बसंत इस बार ये तपिश फरवरियों में इतनी तो ना रही थी कभी ! बैचेन परिवेश अजीब खबरे एक घुटी घुटी सी अनजान घबराहट गावों से श...
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Wednesday, February 8, 2023

मुझे कुछ कहना है !

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बहुत भीड़ है हर जगह भीतर तो  बाहर से ज्यादा जमघट है अंदर की अदालतों और सदनों में सुनवाई होती नहीं कि एक नई अर्जी फिर कोई चुपचाप लगा जाता है ...
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Tuesday, January 31, 2023

ये बजट कुछ अज़ीब है

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        ये बजट कुछ अज़ीब है चुनाव भी करीब है    राहतों के गाँव में समर्थनों के भाव में बजट ये अबके ख़ास है चुनाव के आस पास है तेरा बजट मेरा बज...
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Monday, January 30, 2023

तुम्हारी बाँ !

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  आज फिर तुमसे दुःख अपने कुछ टूटे सपने  बाँट रही हूँ  बोया था एक बीज तुमने उसके विकसित कल्प तरु से थोड़े काँटे कुसंग कीट को सहला समझा  कर छा...
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Saturday, January 28, 2023

माँ नर्मदे ! उत्साह का आशीष दो माँ ...

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  माँ नर्मदे ! माँ नर्मदे !! आशा भरे उत्साह का आशीष दो माँ ! अंतस भरा तव औज से मन तम हरा रव मौज से श्रद्धा का तुम अवगाह हो  भक्ति का नित प्...
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Wednesday, January 25, 2023

सखी आयो , अबके ...बासंती गणतंत्र !

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    सखी आयो , फिर छायो, गदरायो , देख बसंत ! मनभावन , अति पावन , जन गण धन भरी लायो , अबके , नेक बसंत ! सखी आयो , मन भायो , बौरायो , देख बसंत...
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Tarun / तरुण / தருண்
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