फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है |
शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है ||
Tarun Kumar Thakur,Indore (M P)
"मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
Friday, March 19, 2021
उफ़्फ़ ये बेहया बेलग़ाम आँकड़े !
एक तरफ बैठे थे
अफसरां लेकर के
बेरोज़गारी
अपराध और
बेपटरी अर्थनीति के
भयावह आँकडे !
दूजी और भी
वैसे ही मातहत
डरा रहे थे ..
दिखा-दिखा कर
महामारी ,
जनसंख्या ,
आत्महत्या और
नारी उत्पीड़न के
निर्लज्ज सूचकांक
बीच में
बेचारे??? मंत्री जी
सर पर हाथ धरे
बुदबुदा रहे थे
आलाकमान से ..
अब तो हद ही पार कर दी है
कम्बख्तों ने ..
हम सदन में
बाद में
करते रहेंगे बहस
आप तो
ताबड़तोड़
महामना के
पूर्व-हस्ताक्षरित
राजपत्रों पर
राष्ट्रवाद से आप्लावित !
एक और ... ? फड़कता हुआ !! अच्छा सा ??? अध्यादेश निकलवाईये ...
आज की व्यवस्था पर सटीक प्रहार... आजकल मूलभूत दिक्कतों पर कोई बात ही नहीं करता है... बस बिना वजह के मुद्दे उछाले जाते हैं ताकि जनता का ध्यान भटकता रहे.....
आज कि राजनीति पर सटीक लिखा है ... आंकड़े सही हैं या गलत क्या पता ...
ReplyDeleteसीधा प्रहार आज की ढूलमूल व्यवस्था पर ।
ReplyDeleteसुंदर।
आंकड़ों के आंकडे से तो भगवान ही बचाए
ReplyDeleteआज की व्यवस्था पर सटीक प्रहार... आजकल मूलभूत दिक्कतों पर कोई बात ही नहीं करता है... बस बिना वजह के मुद्दे उछाले जाते हैं ताकि जनता का ध्यान भटकता रहे.....
ReplyDeleteसटीक प्रहार बहुत व्यस्त था बहुत मिस किया ब्लोगिंग को बहुत जल्द सक्रिय हो जाऊंगा!!
ReplyDeleteI think this is one of the most significant info for me. And I'm glad reading your article.
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