Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, December 1, 2022

बाबू ! सब्बै मीडिआ बिकाऊ ना बा ...

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    ससुर  इहा हर खबर बिकात बा  , अउ जो बिकात बा  सोइ ना छपात बा ! कहत हई के मीडिया बिकात बा ? अरे भाई हर खबर अब जरुरी तो नहीं होती , खबर छुप...
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Tarun / तरुण / தருண்
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