Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, June 15, 2023

पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः - धर्म के आचरण में भी दुविधा, क्यों ? प्रभु !!

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  श्रीमद्भगवद् गीता  अध्याय 2 -भाग २   श् रीमद्भगवद् गीता  अध्याय 2 -भाग १  से आगे अर्जुन बोला तब श्रीकृष्ण से...   हे मधुसूदन ! हे अ...
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Tuesday, December 27, 2022

कुतस्त्वा कश्मलमिदं ...

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   एक सार्वभौम प्रासंगिक सन्दर्भ : मधुसूदन उवाच ! (गीता : द्वितीय अध्याय - भाग १ )   तब उस  करुणामूर्ति ने  करुणापूरित  अश्रुरत  ...
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