Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Thursday, September 22, 2022

शिकायतें मगरूर है मगर ...

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    पूछो ना क्या याद रहा , क्या मैंने भुला दिया | उसका फिर याद आना , फिर मैंने भुला दिया || पलट पलट के किताबे-अतीत थक गया था मै | जागता रह...
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मच्छर बड़ा कि नेता ?

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  दोनों खाते सुख और चैन पीते केवल इंसानी खून एक शहीद  होता ताली पर दूजा बस  कटा नाख़ून साफ़ पानी में एक है पलता दूजा गटर में भी जी जाय सख्त जा...
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Friday, September 16, 2022

वो रोज अनशन करता है

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वो रोज अनशन करता है   फुटपाथ पर  झोपड़ों में  जंगलों  दुरान्चलों  और  तुम्हारी गली में भी  भूख  और  गरीबी के खिलाफ ...
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Sunday, August 7, 2022

भटकने लगे है लोग

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एक गरम साँस  होठों के आगे ,  कानों के पीछे  एक  ठंडी फूंक की ख़ातिर  बिकने लगे है लोग  कितने ऊपर  और चढ़ेंगे अपने ही  अगणित ...
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Friday, March 19, 2021

उफ़्फ़ ये बेहया बेलग़ाम आँकड़े !

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  एक तरफ बैठे थे अफसरां लेकर के बेरोज़गारी अपराध और बेपटरी अर्थनीति के भयावह आँकडे ! दूजी और भी वैसे ही मातहत डरा रहे थे .. दिखा-दिखा कर महाम...
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Sunday, February 28, 2021

हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!

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   नहीं जानता मैं समय की सीमाएँ समय जानता है सबकुछ तय करता बदलता सबकी / सारी / सांझी परिसीमाएँ बदल बदल बहुत बदल सको तो भी बस बदल सकोगे कालां...
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Thursday, February 11, 2021

बड़े वो है ..... मुहलगे !

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  हमारे वो ... वैसे तो कुच्छ नहीं हमारे सामने | कुच्छ कहती नही हूँ उनको इसलिए कि वो है नेता जी के बड़े ही मुहलगे || आग मूत रक्खी है मोहल्ले ...
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