Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Wednesday, November 16, 2022

आ-कल-जल !

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      शब्दों के गुंजन में , अर्थों की ध्वनि नहीं थी , नितांत भावपूर्ण-अनर्थता थी ! यथार्थ के धरातल , चौरस-समतल नहीं थे , छंदहीन-समरसता थी वह...
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Monday, November 14, 2022

भगत नहीं छपा करते नोटों पर

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मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है. -भगत सिंह भगत नहीं छपा करते नोटों पर  भगत नहीं बिकत...
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Thursday, September 22, 2022

शिकायतें मगरूर है मगर ...

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    पूछो ना क्या याद रहा , क्या मैंने भुला दिया | उसका फिर याद आना , फिर मैंने भुला दिया || पलट पलट के किताबे-अतीत थक गया था मै | जागता रह...
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मच्छर बड़ा कि नेता ?

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  दोनों खाते सुख और चैन पीते केवल इंसानी खून एक शहीद  होता ताली पर दूजा बस  कटा नाख़ून साफ़ पानी में एक है पलता दूजा गटर में भी जी जाय सख्त जा...
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Friday, September 16, 2022

वो रोज अनशन करता है

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वो रोज अनशन करता है   फुटपाथ पर  झोपड़ों में  जंगलों  दुरान्चलों  और  तुम्हारी गली में भी  भूख  और  गरीबी के खिलाफ ...
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Sunday, August 7, 2022

भटकने लगे है लोग

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एक गरम साँस  होठों के आगे ,  कानों के पीछे  एक  ठंडी फूंक की ख़ातिर  बिकने लगे है लोग  कितने ऊपर  और चढ़ेंगे अपने ही  अगणित ...
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Friday, March 19, 2021

उफ़्फ़ ये बेहया बेलग़ाम आँकड़े !

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  एक तरफ बैठे थे अफसरां लेकर के बेरोज़गारी अपराध और बेपटरी अर्थनीति के भयावह आँकडे ! दूजी और भी वैसे ही मातहत डरा रहे थे .. दिखा-दिखा कर महाम...
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