Friday, March 31, 2023

लिखने का नैतिक दुस्साहस !



लिखने का नैतिक दुस्साहस !
करते है
कुछ
मेरे जैसे लोग
कुछ
तुम में से भी होंगे
बिना जाने
कि
कैसे एक एक शब्द
एक एक वाक्य
तुम्हारा पर्याय बन
जुट जाता है
उस रचना में
जो शायद
मेरा
या
तुम्हारा
मंतव्य ही ना था
सोचा ना था
इतनी दूर निकल जायेंगे
वो शब्द
और
इतना
विराट होगा
उनके अर्थों (अनर्थों !)
का फैलाव
कि
फिर समेट ही ना सकेगा
कोई कवि
कभी
उस भटकाव को
फिर
चाहे
कितने सुन्दर
अलंकारों
और
सधे छंदों में
रचते रहों
श्रष्टि पर्यंत
वेदों पर उपवेद
और
महाग्रंथ
या उनपर भाष्य
छद्म मनुष्यता
अश्प्रश्य ही रहेगी
चाहे पहन ले
कितने ही
शब्दाडम्बरों के
चमचमाते
चौधियाते
मुक्ता मणि |

Wednesday, March 29, 2023

जगदम्बा सिद्धिदात्री ..... तू देती है केवल देती ही है माँ !



तेरी महिमा बखान सकू 
जग में कोउ भया ना कभी 
मेरी हस्ती किंकर सी 
तू ब्रह्मांड-उदरी विश्वेश्वरि 

ज्ञान चक्षु दिए महादेव 
ब्रह्मा को रचना का पुण्य काज 
रखवाली करते श्री विष्णु 
करती त्रिलोकी अभय उद्धार 

सब स्वरूप माता स्वयं 
सर्वत्र अजनमा अबूझ महान 
अनुभूति , प्रज्ञा भी 
आदि भी हो स्रोत स्वयं 
वेद प्रकट करते चराचर 
उनको देती हो स्वयं ज्ञान 

जय जय माँ सिद्धि दात्री 
जय जगदम्बा मातु देऊ वरदान 
जीवन , ज्ञान दिया धन मान 
हो सफल बढ़ाऊ तेरो मान 

जय माता दी ! सभी भक्तजनो को नवरात्री महापर्व एवं मर्यादा पुरुषोत्तम सीतापति श्री राम चंद्र के प्रकटोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये !
माँ भगवती की कृपा से नव विक्रम सु-संवत २०८० , पिंगल नामक यह नव संवत सब प्रकार से मेरे , आपके एवं हमारे परिवार जनो , शुभचिंतकों के लिए , धन धान्य , उत्तम स्वास्थ्य और उपलब्धियों से भरा हो !
माता रानी सब उत्सवों को आनंदमय और उल्लास आह्लाद से आप्लावित कर , जीवन को धन्य करे !
जय माता दी ! जय श्री राम ! वन्दे भारत मातरम !

माँ महागौरी तेरी महिमा अपरम्पार

 

 
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तप , त्याग , क्षमा की मूर्ति
लक्ष्मी ,काली ,कल्याणी !
सब जग रची महू आप विराजी ,
तू ही रमा ,शारदा ,वेदवाणी !

ब्रह्मा रची फिर वेद रचे चारि ,
रची सृष्टि त्रिदेव शरण मानी !
शिव चौको कियो सती सु नारी ,
तू ही जगजननी , उमा , भवानी !

संशय दुःख ताप हरति जग का
आप हवन हो शुभ देती महादानी !
तुम्हरे चरण भेंट करू अल्पज्ञ मति
माँ ! तुम अथाह ज्ञानराशि मै अज्ञानी ||

जय जय माँ महागौरी ! माँ जगदम्बा !!

Wednesday, March 8, 2023

माँ तुम कैसी हो ?

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माँ तुम कैसी हो ? 

आज पूछना चाहा मगर फोन नहीं लगा | अगर लग भी जाता तो ज्यादा बात नहीं होती|
वही हमेशा की तरह कैसे हो बेटा हम सब ठीक है , अपना ख्याल रखना, आदि दोहराए जाते |

 माँ मैं तुमसे कहना चाहता हू, कई बाते मगर तुम उसे टाल दोगी | जानता हू पूरा बचपन और जवानी गुजार दी मैंने , तुम्हारे आँचल की कवचनुमा छाव में , अब किसी और से उस गोद उस स्नेह स्पर्श आँचल और काँधे की उम्मीद सपना भर लगती है | फिर भी 

बहुत घनी है,
अब भी उन यादों की छाव ,
गुजारने को सौ जीवन ,
हो चाहे नरक सामान ...
 

माँ तुम क्या हो ये सिर्फ मैं जानता हू | तुम भी शायद ये ना जान पाओगी , कितना अनोखा है ना माँ-बेटे का ये रिश्ता ! आज जब अपने बेटे को , उसकी माँ की गोद में मचलते, अनुनय करते , दुलारे जाते देखता हू  तो अनायास उस स्राष्टिकर्ता पर उसके अजब करतब पर 

बस हैरान होकर
रह जाता हू
अपने बेटू की
प्यारी "मम्मी" को
मै भी कभी कभी .....
"माँ" कह जाता हू !

~ महिला दिवस की शुभकामनाए ~

Saturday, March 4, 2023

एक ख़राब दिन , एक अच्छा दिन




जैसे 
तुम हो शुद्ध 
शाकाहारी
और 
गुज़र जाओ 
व्यस्त 
मच्छी बाजार से 

             और ऐसे ही 
             कभी 
किसी एक दिन 
जेठ की 
जलती दोपहर में 
कोई विमान 
तुम्हे छोड़ आये 
हरी भरी 
बर्फीली 
वादियों में 

       दिन वही था 
       तुम भी 
फिर भी 
फर्क था 
कही बाहर 
और भीतर में 

कुछ टूट गया था 
मच्छी बाजार में 
और जुड़ गया था 
वादियों में 

       बस एक बार 
       तोड़ कर देखो 
इस जुड़ाव को 
और 
फिर वही शान्ति 
अंतर में 
गूंजती रहेगी 
निरंतर 
निराधार