जन गण धन
भरी लायो , अबके , नेक बसंत !
बौरायो , देख बसंत ! कुञ्ज गलिन अरु
पाथ मलिन सबै
पसरायो , हरसायो , एक बसंत !
दिग छायो , देख बसंत ! हाथ रंगे
मेहंदी सन
पग भये
महावर
सगरी सखियन के , महुवा से भये
गात भरे झरै
पीपर के पात हरे बदरा बन
वन ही वन
आप झरै ज्यो कजरा बन
बैरन पीर झरै
जगी
बन जोगन
कितनी रात सखी
अबके
कह दूंगी वो
बात सखी ...
मन बाँध रखी
जो बात सखी ...
पिय समझावन
नयन मिलावन
पग पधरावन
आ न सखी !
सखी आयो ,
पाती प्रिय लायो , हरकायो, देख बसंत ! सभी प्रिय, माँ भारती के लाड़ले-लाड़लीयों को बासंती गणतंत्र दिवस की बहुत रंगभरी शुभकामनाएं !
माँ सरस्वती , अपने वात्सल्य का सबको सहज उपहार दे ,यही प्रार्थना है , मातु चरणों में !
वन्दे वीणा-पुस्तक धारिणीं, शुभदा सकल जग तारिणीं |
नमामि मातु
ऐं
सरस्वत्यै, सकल कलि-कल्मष हारिणीं ||