फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है |
शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है ||
Tarun Kumar Thakur,Indore (M P)
"मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"
No posts with label सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी।।. Show all posts
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