Saturday, May 20, 2023

भविष्य की नीव में




गीता का रहस्य /
उसका कर्मवाद /
प्रेमचंद की
पिसनहारी / से
गोर्की के
आवारा मसीहाओं तक..

बहुत सटीक
संदर्भित है
जीवन
  
पता नहीं क्यों
हम
पुराने संदर्भो में
नए आयाम तलाशते है ?

शायद
हमारी
इसी तंद्रा ने
हर ली है,
जीवन की सरलता !

अनुभव बिना ज्ञान
और
ज्ञान बिना अनुभूति ?

बन रहा है
दुरूह भविष्य
जिसकी बुनियाद में
जब कभी तलाशोगे
तर्क ही निकलेंगे ...

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