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Thursday, January 5, 2012

अंतर्युगांतरण


मोर मुकुट धर 
लकुटी धर 
वंशीधर 
पीताम्बर धर 
गिरिधर 
शंख चक्रधर 
लीलाधर नटनागर 
धरनीधर माधव 
केशव अनंतजित 
अनंतकर 
रथ धर 
रण कर 
रणछोड़ 
रणमध्ये गीता कर 
मोक्ष धर 
योगक्षेम कर 
ओंकार रचनाकर
युग धर 
युगांत कर 
हे योगी कर्मरत 
कर्मफल स्पृहारहितं  
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम 
ॐ नेति नेति कर 
वेद वेदान्त कर 
त्वं अखिलं विश्वं विभुं 
करुणाकरम  रघुवरं 
हे नीलाभ ज्योतिधरम 
श्रीधरं माधवं अच्युतम केशवं 
नमामि  त्वं अनंत धुतिम 
अद्भुतम निरतं निरामयम 
अनघम अगम करुनामयं 
त्वं तत तत्त्वं त्वं अखिलं जगतं 
सारं संभूतं उद्भवं अनन्तकम 
हे हरी: ! हे  हरी: !! हे हरी: !!!
पाहि माम , पाहिमाम प्रभू ...