अपने जन्मदिन पर खुद को ...
आज उदास नहीं होउंगा
नाही निराश होने दूंगा
स्वयं को
थोड़ा मुश्किल है
जब
सब और से घेरा हो
अंधेरों ने
अगर ये रात है
तो मैं सो नहीं सकता
दिन है
तो रो नहीं सकता
थक नहीं सकता
बैठ नहीं सकता
रुक नहीं सकता
ना ही झुकूंगा कभी
अन्याय
और
अन्याय के परोक्ष
पक्षधरों के सामने
मेरे कंधे झुके जा रहे है
मगर
ये थकान है
निराशा नहीं
एक दिन इसे भी
जीत लूंगा
मेरा वादा है
खुद से !