आज सिर्फ उनको नमन करो
आज बस उनकी बात करो
आज शिकायते ना करो
आंसू भी ना बहाओ
दो फूल श्रद्धा के
हाथों में उठाओं
उस ध्वज पर चढाओ
जो छत्र बन तना है
जो
लोकतंत्र का प्रहरी बना है
आज
उनको मत कोसो
जो
हमें धकेलने में लगे है
पीछे
आज
उनको नमन करो
दो फूल
कृतज्ञता के
उन्हें भी चढाओ
जिन्होंने
शीश अपने
अर्पण किये है
जिन्होंने
बलिदान कितने दिए है
आज
आपनी समस्याओं पर
शोक मत मनाओ
आज
विडम्बनाओ को
वर्जनाओं को
भूल जाओ
दो फूल
उन्हें भेट करना
जो
असत्य से लड़े है
जो
संविधान के
पक्ष में खड़े है !