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Sunday, August 15, 2010

आज

आज सिर्फ उनको नमन करो
आज बस उनकी बात करो
आज शिकायते ना करो
आंसू भी ना बहाओ
दो फूल श्रद्धा के
हाथों में उठाओं
उस ध्वज पर चढाओ
जो छत्र बन तना है
जो
लोकतंत्र का प्रहरी बना है
आज
उनको मत कोसो
जो
हमें धकेलने में लगे है
पीछे
आज
उनको नमन करो
दो फूल
कृतज्ञता के
उन्हें भी चढाओ
जिन्होंने
शीश अपने
अर्पण किये है
जिन्होंने
बलिदान कितने दिए है
आज
आपनी समस्याओं पर
शोक मत मनाओ
आज
विडम्बनाओ को
वर्जनाओं को
भूल जाओ
दो फूल
उन्हें भेट करना
जो
असत्य से लड़े है
जो
संविधान के
पक्ष में खड़े है !