रोज सवेरे पूरब तेरे
सूरज नमन को आता
तू है मेरी जन्म भूमि माँ
तू हम सब की माता
मेरी भारत माता , ओ मेरी भारत माता !
भारत माता , ओ भारत माता !!
हम करे वन्दना तेरी
जग तुझको शीश नवाता
हम करे प्रार्थना तेरी
जीवन की राह अँधेरी
जो आशीष तेरा मिल जाता
पथ में प्रभात हो जाता
ओ भारत माता, ओ भारत माता!!
यहाँ जग में विशाल हिमाला ,
जिसने गंग जमन को पाला
इसकी मिटटी में सोना
इसमे मिल कर ही खोना
जो गोद तेरी सो जाता
मुझे स्वर्ग यही मिल जाता
ओ भारत माता, ओ भारत माता!!
यही रची स्रष्टि की गाथा
कहे उन्नत कर कर माथा
तेरा ध्वज इतिहास उठाता
हर पग भविष्य को जाता
तू वेद संस्कृति दाता
तेरा पुत्र जगत का भ्राता
ओ भारत माता, ओ भारत माता!
(अपने लड़कपन में लिखी ये रचना आज सब से बाटते हुवे बहुत हर्ष हो रहा है ! सभी मित्रों , शुभचिंतकों व स्नेहीजनो को भारत वर्ष के स्वंत्रता दिवस पर्व की हार्दिक हार्दिक बधैया ! इश्वर हमें सन्मार्ग पर आगे बढाए यही कामना करता हु ...शुभम अस्तु !)
तरुण कुमार मोहन सिंह ठाकुर
इंदौर से