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Monday, April 18, 2011

भारतीयता मौलिक ही रहेगी




या यू कहे 
कि
मौलिकता ही 
भारतीयता है 
तो 
ज्यादा सही होगा 
ज्यादा करीब होगा 

उस सच के 
जो 
छुप गया है 
दब गया है 
बाजारू सोच 
और 
हरदम बिकाऊ लोच
के पीछे 
बहुत नीचे कही 

जहा 
सोच 
और 
सिद्धांत 
सजावट भर है

नैतिकता 
सापेक्ष है 

धर्म 
चर है 

और 
आत्मा 
भौतिक वस्तु सी 
बोली पर चढ़ी है 

जिसे 
तुम प्रोफाइल कहते हो |