या यू कहे
कि
मौलिकता ही
भारतीयता है
तो
ज्यादा सही होगा
ज्यादा करीब होगा
उस सच के
जो
छुप गया है
दब गया है
बाजारू सोच
और
हरदम बिकाऊ लोच
के पीछे
बहुत नीचे कही
जहा
सोच
और
सिद्धांत
सजावट भर है
नैतिकता
सापेक्ष है
धर्म
चर है
और
आत्मा
भौतिक वस्तु सी
बोली पर चढ़ी है
जिसे
तुम प्रोफाइल कहते हो |