राम रहीम
सरजू बिरजू
पोलियो वाली दुलारी
सब
कट्ठे ही
रास्ता देखते है
टीचर दीदी का
जिसके सम्मान से
गाव का लाला
और सरपंच तक
ईर्ष्या करते है
यही कही
पढ़ाया जाता है
पाठ
समाजवाद का
जिसे
कागजो के शेर
और कुर्सियों के कारीगर
बदलने की कोशिश
करते रहते है
और हंसती रहती है
उनकी टीचर दीदी
नहीं टोकती उन्हें
उनकी ऐसी
नादानी पर !