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Sunday, January 30, 2011

हे राम ! ये हरी पत्ती , लाल पत्ती ! !!

तुम राम कह कर गए
कुछ काम भी
कहा तो था ...
मगर
तुम्हारी तस्वीरों से
तिजोरिया भरते भरते
तुम्हारे आदर्शों
जीवन मूल्यों को भी
बेच दिया
हमने
महंगे
बहुउपयोगी
डॉलर के बदले |

तुम्हारे चित्र छपी
हरी पत्ती से
अब
इस देश में
ख़रीदे जाते है
जिस्म
ईमान
और
वोट |

और
हर जुबां
जो
सच बोलती थी
बोल सकती थी
उसके होटों पर भी
चिपका दी है
हमने
तुम्हारे चित्र वाली
कुछ हरी पत्ती |
कुछ लाल पत्ती |