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Tuesday, June 15, 2010

रहिमन पानी राखिये

रहिमन पानी राखिये
बिन पानी सब सुन
पानी गए ना गुजरे
अप्रेल मई और जून

रहिमन पानी राखिये
जाने कब आये मानसून
पेपर , टीवी रेडियो कहे
कमिंग सून , कमिंग सून

रहिमन पानी राखिये
बिन पानी सब घून
प्यासी जनता पी रही
एक दूजे का खून

रहिमन पानी राखिये
बीत ना जाए जून
बिन नहाए बिन धोये
सब लागत है कार्टून

रहिमन पानी राखिये
खाकर सत्तू नून
धूप महंगाई बढ़ रही
जनता गयी है भून

रहिमन पानी राखिये
पानी रहा सुखाय
नैनो का नीर भी पी गए
देखो सावन कब आय
अब आया के तब आय
अब आय के तब आय
रहिमन जैसी निभ रही
जब तक निभे निभाओ
दुवा करो हे दाता !
अब तो द्वार गाँव भिंगाओ
अब के बदली बन
गगन पर ऐसे जम जाओ
के फिर
हम तुमसे कहे !
बस बाबा अब जाओ !

आशा करता हूँ
मेरी पाती पढ़
तुम जरुर आओगे
ककड़ी भुट्टा लाओगे
और नहीं सताओगे
सबके पिया कहलाओगे
तभी मल्हार सुन पाओगे
तो अंत में
रहीम को सादर नमन
और
चार पंक्तियों से
करता हू बात ख़तम

रहिमन पानी राखिये
सब पानी के मजमून
सब तेरे जिलाए जी रहे
सब तेरे है मगनून!
सब तेरे है मगनून!!
सब तेरे है मगनून !!!