हमें जरुरत नहीं है,
किसी
पड़ोसी ताकत की
जो
हमें बर्बाद करने के लिए
खुद बर्बाद हो जाए
हमारे लिए तो
हमारे चुने हुए
प्रतिनिधि ही
किसी
परमाणु बम से
कम नहीं है
ये
किसी एंडरसन को
भोपाल तो दे सकते है
पर
भोपाल को
एंडरसन देना
इनकी औकात नहीं है
वैसे
औकात से पहले
इनकी नियत पे
शक होता है
और
नियत तक तो बात
तब पहुँचे जब
किसी के
इंसान होने की
भी
थोड़ी संभावना हो
भोपाल सबक है
विकास के पीछे
अंधी दौड़ में
शामिल
तथाकथित
विकासशील देशों के लिए
जो
अमेरिका
और
जापान
से
होड़ में
ऐसे कितने
हिरोशिमा
और
नागासाकी
लिए
बैठे है
भोपाल में
गैस अब भी
रिस रही है
तब इसमे
इंसान मरे थे
अब
इंसानियत
मर रही है !