तुम संकल्प हो ,
श्रष्टा हो स्वयं ,
स्वयं ही
खोजते हो
स्वयं को
स्वयं में ,
क्या हो प्रभो !
जगन्नाथ हो
जगदीश्वर हो
दाता तुम्ही हो
स्वयं से
माँगते हो
स्वयं को
देते हो
स्वयं को
स्वयं ही
क्या हो प्रभो !
नहीं जानना मुझको ,
नहीं आती समझ
ये लीलाये तुम्हारी
पर
मै
मेरा विस्मय
और
विवेचना भी
सब
तुम ही तो
हो प्रभो !
स्वयं प्रश्न हो
उत्तर स्वयं
स्वयं से
पूछते हो
क्या हो प्रभो !
श्रष्टा हो स्वयं ,
स्वयं ही
खोजते हो
स्वयं को
स्वयं में ,
क्या हो प्रभो !
जगन्नाथ हो
जगदीश्वर हो
दाता तुम्ही हो
स्वयं से
माँगते हो
स्वयं को
देते हो
स्वयं को
स्वयं ही
क्या हो प्रभो !
नहीं जानना मुझको ,
नहीं आती समझ
ये लीलाये तुम्हारी
पर
मै
मेरा विस्मय
और
विवेचना भी
सब
तुम ही तो
हो प्रभो !
स्वयं प्रश्न हो
उत्तर स्वयं
स्वयं से
पूछते हो
क्या हो प्रभो !
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