अर्धसत्य की लाश सा अधमरा लोक(?)तंत्र
भरे पेट गाल बजाता
भोग में डूबा है
भीड़ तंत्र
आबरू बेचता
मां बहनों की
दलाली खाता हुवा
बेशर्म तंत्र
खून पीता
भूखी आंतो को
परोसता हुवा
भेड़िया(गीदड़) तंत्र
मर चुकी आस्था से
मृत शरीरो को
भोगता भभोड़ता
नीच तंत्र
खबरे पढ़ता
खबरे गढ़ता
बहाने खोजता
कोसता
अपने खोल में
खूब गरजता है
कछुवे सा
भीत तंत्र |
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteआज के खास चिट्ठे ...