Wednesday, November 16, 2022

आ-कल-जल !

 

What My 83-Year-Old Great Grandma Taught Me About The Meaning of Life —  OMAR ITANI 

 

शब्दों के गुंजन में ,
अर्थों की ध्वनि नहीं थी ,
नितांत भावपूर्ण-अनर्थता थी !
यथार्थ के धरातल ,
चौरस-समतल नहीं थे ,
छंदहीन-समरसता थी वहां !

ज्ञान के आडम्बर से शून्य ,
अनुभवों का सहज आकाश ,
कथाओं के अलोक से जगमगाता ,
आलिंगन ले लोरियाँ सुनाता रहा ,
जगाता सुलाता रहा रातभर ,

वो रात की चाँदनी
और ये भोर की रश्मियाँ
मुझे क्यों सब एक से लगे ...
खैर दिन चढ़ आया है
फिर काम पर भी तो जाना है !

सच !
यही तो है जिंदगी...
उलझी उलझी मगर
निपट, सरल , सुलझी भी ...

 

4 comments:

  1. यही तो है जिंदगी...
    उलझी उलझी मगर
    निपट, सरल , सुलझी भी ...
    वाह ! बहुत सुंदर परिभाषा जिंदगी की

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया !
      जय भारती !

      Delete
  2. सच !
    यही तो है जिंदगी...
    उलझी उलझी मगर
    निपट, सरल , सुलझी भी ...
    जिंदगी को खूबसूरती से परिभाषित करती सुन्दर रचना ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया !
      जय भारती !

      Delete