मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है.
-भगत सिंह
भगत नहीं छपा करते नोटों पर
भगत नहीं बिकते बाजारों में
भगत की बोली नहीं लगती
भगत विचारों ही से हिला देते है
भगत जब बोलते है सब सुनते है
भगत मिट कर भी खामोश नहीं होते
भगत बदलते नहीं बदल देते है
भगत होने के लिए सिर्फ कलेजा चाहिए
भगत जिंदाबाद सुनने तक नहीं जीते
भगत के लिए कोई क्या करेगा
भगत का कर्ज चुकाना मुमकिन नहीं
भगत का भूल जाना मुमकिन है
भगत को भुला पाना मुमकिन नहीं
भगत ने बनाया जिस हिन्दोस्तां को
भगत को वहा मिटा पाना मुमकिन नहीं
भगत सिंह अंग्रेजो के न्यायप्रियता के मुखौटे को नोच फेकने वाले शेर का वो पंजा था जिसने एक ही वार से कभी ना डूबने वाला फिरंगी गुमान को जमीं पे दे मारा था जिसकी गूंज डिबिया जैसा सिकुड़ा ब्रितानी समाज आज भी सुनता है ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-11-2022) को "दोहा छन्द प्रसिद्ध" (चर्चा अंक-4613) पर भी होगी।--
ReplyDeleteकृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय डॉ साहब सादर वंदन अणि खूब खूब अभिनन्दन !
Deleteसमस्त चर्चामंच के माननीय एवं पाठकजन को सादर प्रणाम !
रचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सभी का सादर आभार !
वन्दे मातरं ! जय हिन्द !!
भगत विचारों ही से हिला देते है
ReplyDeleteभगत जब बोलते है सब सुनते है
भगत मिट कर भी खामोश नहीं होते
भगत बदलते नहीं बदल देते है
भगत होने के लिए सिर्फ कलेजा चाहिए
भगत सिंह को समर्पित अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
रचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सादर!
Deleteवन्दे मातरं ! जय हिन्द !!
शहीद भगतसिंह को शत शत नमन
ReplyDeleteरचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सादर!
Deleteवन्दे मातरं ! जय हिन्द !!
कलेजे में भगत की अलख जगाने के लिए धन्यवाद, वंदे मातरम, भारत माता की जय, हिंदुस्तान हमारा है
ReplyDeleteरचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सादर!
Deleteवन्दे मातरं ! जय हिन्द !!
बेहतरीन और सार्थक सृजन
ReplyDeleteआदरणीया अभिलाषा जी !
Deleteबहुत बहुत आभार !