पूछो ना क्या याद रहा , क्या मैंने भुला दिया |
उसका फिर याद आना , फिर
मैंने
भुला दिया || पलट पलट के किताबे-अतीत थक गया था मै |
जागता रहा रात भर मगर तुझको सुला दिया ||
आहिस्ते से बात कर , सुन धड़क रहा है दिल |
अभी चुप किया था मैंने , फिर तूने रुला दिया ||
शिकन ये चादरों पर, ये शिकन तन्हाइयों की है |
लम्हा है कटता नहीं यहाँ, तूने किस्सा बना दिया ||
इस हाल यार मुलाक़ात तो फिलहाल क्या होगी |
मसरूफ़े तंगहाल को मग़रूर तुम्ही ने बना दिया ||
कुछ लिखू मै ये ख्वाहिश तो कई दिनों से थी मगर |
मेरी मेज को जरूरतों ने जाने कब दफ्तर बना दिया ||
खैर शिकायतों की ये किश्त तो बस आखरी है दोस्त |
सबबे-बेसब को सबब जीने का नज़रिया दिला दिया ||
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आदरणीय श्वेता सिन्हा जी ,
Deleteआपके इस आशीर्वाद के लिए बहुत बहुत साधुवाद !
सादर वन्दे !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-09-2022) को "सूखी मंजुल माला क्यों?" (चर्चा-अंक 4562) पर भी होगी।
ReplyDelete--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सदा की तरह ही , अनुपम लिंक और बेजोड़ पठनीय सामग्री के संकलन के लिए सम्पूर्ण चर्चामंच को बहुत बहुत अभिनन्दन !
Deleteआदरणीय डॉ. साहब इस नाचीज को आपका आशीर्वाद बहुत मिला , मगर मई समय देकर किसी जगह उपस्थिति न दर्ज करवा पाने की बहुत क्षमा चाहता हु |
और तहे दिल से आपको आश्वस्त करता हु कि आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा !
आपके व सम्पूर्ण चर्चामंच के स्नेह एवं प्रोत्साहन के लिए दिल से धन्यवाद् !
सादर वन्दे !
सुकूँ के लिए बहुत बातें भुला देना बेहतर ।
ReplyDeleteकाश कोई यूनिवर्सिटी भूलने की कला / विज्ञान विषय में भी शिक्षा देती | बहुत जरुरी है नयी जीवन शैली में "भूलना" |
Deleteआदरणीया संगीता जी , आपकी बहुमूल्य टिपण्णी के लिए बहुत बहुत साधुवाद !
सादर वन्दे !
उम्दा सजृन।
ReplyDeleteआदरणीया , आपकी बहुमूल्य टिपण्णी के लिए बहुत बहुत साधुवाद !
Deleteसादर वन्दे !
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteये तेरा लिखा है दोस्त बस इतना समझ लो , शुक्रिया ! मेहरबानी ! करम !
Deleteबहुत अच्छी और सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीय,
Deleteआपको बहुत बहुत आभार !
सुंदर पंक्तियाँ।
ReplyDeleteआदरणीय,
Deleteआपको बहुत बहुत आभार !