पूछो ना क्या याद रहा , क्या मैंने भुला दिया |
उसका फिर याद आना , फिर
मैंने
भुला दिया || पलट पलट के किताबे-अतीत थक गया था मै |
जागता रहा रात भर मगर तुझको सुला दिया ||
आहिस्ते से बात कर , सुन धड़क रहा है दिल |
अभी चुप किया था मैंने , फिर तूने रुला दिया ||
शिकन ये चादरों पर, ये शिकन तन्हाइयों की है |
लम्हा है कटता नहीं यहाँ, तूने किस्सा बना दिया ||
इस हाल यार मुलाक़ात तो फिलहाल क्या होगी |
मसरूफ़े तंगहाल को मग़रूर तुम्ही ने बना दिया ||
कुछ लिखू मै ये ख्वाहिश तो कई दिनों से थी मगर |
मेरी मेज को जरूरतों ने जाने कब दफ्तर बना दिया ||
खैर शिकायतों की ये किश्त तो बस आखरी है दोस्त |
सबबे-बेसब को सबब जीने का नज़रिया दिला दिया ||