अपने बेटे को उसके बीसवे जन्मदिवस पर प्यार भरी सीख , ढेरो स्नेह और आशीर्वाद के साथ !
बाबू अब तुम बड़े हो गए
जिम्मेदारी समझोगे !
अपना बचपन छोड़ के
एकदिन
हमरी चप्पलें जो पहनोगे ....
तब ही
शायद समझ सकोगे
उलझन हमरी
सब सांझे सुख दुःख
हंस गा कर
तुम भी ऐसे जी लोगे
जीवन क्या है ?
एक कपट जाल सा
मनुज उस में फंस जाते है
सब जीवो में
अलग जात है
बुद्धिमान कहलाते है ???
फिर रच रच
ना ना प्रपंच बहुत विधि
खुद ही को समझाते है !!!
पढ़ पढ़ पुराण
ईतिहास धुरंदर...
उसको ही
दोहराते है !!!
है वही आदतें
वही लड़कपन ,
वही खिलौने
नया कलेवर ,
रूप बदल कर
मृग-तृष्णा-तुर
अधुनातन कहलाते है ?
भोजन देना
भूखे को ,
दान कर सको
विद्या का कर देना
सब गौरव पा जाओगे !
बस यौवन / धन का
आग्रह मत रखना ,
मौज में रहना
सहज में कहना !
वर्तमान ही
जीवन है
बीत गई
सो बात गयी !
आगे का आगे सोचेंगे
बोझ ना मन पर
तनिक न लेना !
अंत समय
अपने मानस को
निर्मल ही
प्रभु चरण अर्पण कर देना !
अस्तु बिटुआ इतना ही
कहना है !
हमको तुमको
इस धरती / माटी में
रहकर / रचकर ही
बहुत प्रेम से ...धीरे धीरे
परिपाटी को ...
कुछ.. पहले से ... थोड़ा सा ही
बेहतर करना है !