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Sunday, April 23, 2023

जिसने रचा विश्व

 


जिसने रचा विश्व,
ब्रह्माण्ड, धरा ,गगन,
जल, अग्नि सहित समीर | 

गहन वारिध को बांध, 
तपा, वर्षाता, 
बही: गतिमान, 
अंत: स्थिर || 

तेज
तमोगुण से
आच्छादित, 
रजोमयी,
मायाडम्बर वस्त्र धरे अनुपम | 
लिंग , जाती , धर्म ,
विविध का रचनाकर 
स्वयंभू अम्ब हे !
पुरुषोत्तम || 

तू ही अक्षर,
मात्रा,सब छंद
तुम्ही
तुझको लिखता
मन पाती बन
करुणाकर !

आशीष बनो
जगदीश !
हो कर कमल,
कागद मै बनु ,
मसि बनो तुम
गुणसागर !