बहुत भीड़ है
हर जगह अनाम से
खुली
छूट है आरक्षित
ओट से देख लो
रंग आसमानी हो ग़र ...
फिर केसरी तो
सबसे अच्छा है !
फिर केसरी तो
सबसे अच्छा है !
सभी को फागुन की बहुत बहुत रंग भीनी शुभकामनाये !
जय श्री कृष्ण जी ! राधे राधे !!
फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"