बहुत
भोले हो !
ईतना
भी नहीं जानते...
सरकारें !
"नोट" पर
चलती है
"वोट" तो
बहाना है
आलीशान कोठियों
के गिर्द
पसरे
,अनचाहे कोटि
कोटि फटीचरो से
किसी
तरह निभाना
है !
संसद,
संविधान,
चुनाव,
सब जरुरी है...
दिखावे
और
आड़ के लिए !
तुम भी
एकबार
ईस तरफ
जो आ पाओ
जान जाओगे
"जन्नत की
हकीकत" प्यारे !
"लोकतंत्र" का
डियर!
ईतना
सा फ़साना है
ईस
"हाथ"
जाना
है
उस
"हाथ" को
आना
है ...