एक गरम साँस
होठों के आगे ,
कानों के पीछे
एक ठंडी फूंक की ख़ातिर
बिकने लगे है लोग
कितने ऊपर
और चढ़ेंगे
अपने ही
अगणित
अपने ही
अगणित
नरमुंडो पर
फिसल फिसल
अब तो
गिरने लगे है लोग
मंजिलों से आगे
और भी आगे
आसमानों की
आदिम फ़िराक में
आसमानों की
आदिम फ़िराक में
उड़ने से
चलने या उठने भर से
बहुत पहले ही
चलने या उठने भर से
बहुत पहले ही
थकने लगे है लोग
एकदूजे को
जकड़े भींचे
राह दिखाते
बेसब्र हल्कान
लड़ने
उलझने
भटकने लगे है लोग ...