सखी आयो ,
फिर छायो,भरी लायो ,
अबके , नेक बसंत !
सखी आयो ,
मन भायो ,हरसायो , एक बसंत !
सखी आयो ,
सुधि बिसरायो ,मेहंदी सन
पग भये
महावर
सगरी सखियन के ,
वन ही वन
सखी आयो ,
सब्बे पगरायो ,जगी
बन जोगन
बन जोगन
कितनी रात सखी
अबके कह दूंगी वो
बात सखी ...
मन बाँध रखी
जो बात सखी ...
पिय समझावन
नयन मिलावन
पग पधरावन
आ न सखी !
हरकायो, देख बसंत !
सखी आयो ,
पाती प्रिय लायो ,सभी प्रिय, माँ भारती के लाड़ले-लाड़लीयों को बासंती गणतंत्र दिवस की बहुत रंगभरी शुभकामनाएं !
माँ सरस्वती , अपने वात्सल्य का सबको सहज उपहार दे ,यही प्रार्थना है , मातु चरणों में !
माँ सरस्वती , अपने वात्सल्य का सबको सहज उपहार दे ,यही प्रार्थना है , मातु चरणों में !
वन्दे वीणा-पुस्तक धारिणीं, शुभदा सकल जग तारिणीं |
नमामि मातु
ऐं
सरस्वत्यै, सकल कलि-कल्मष हारिणीं ||