Saturday, February 13, 2010

लय/ छंद में


अम्बर में धरा में
जीवन में
धरा क्या है ?
सोचा, कहा, सुना ,देखा
सही ,
किया क्या है ?

वह भूल से
भूलकर भी
भूलता नहीं
फिर भी
याद करता है ,
पर
याद नहीं
भुला क्या है ?

रसिक है बहुत ,
धनिक भी है
बलवान भी बहुत
जीता, जिया , खाया , पीया ,
प्यारे
गढा क्या है ?

गिरते को उठा ,
खुद संभल ,
बन उजाला
अंधेरों में
लगी ठोकर
गिरा कोई
देखता तू अब भी
खड़ा क्या है ?

मुश्किलों से बड़ी मुसीबत ,
हर मुसीबत पे बड़ा आदमी
अहम् है स्वार्थ है
उनपे खुदा ,
नहीं पता
उससे बड़ा क्या है ?

1 comment:

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