Sunday, February 28, 2021

हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!

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 नहीं जानता
मैं
समय की
सीमाएँ
समय जानता है
सबकुछ
तय करता
बदलता
सबकी / सारी / सांझी
परिसीमाएँ

बदल बदल
बहुत बदल सको
तो भी बस
बदल सकोगे
कालांतर
युग बदल गये होंगे
लव निमेष ही में
नव सृष्टि
गढ़ेगा महाकाल
ईति शेष बचेंगे
रूपांतर

क्या उदित
अनुदित
अपघटित हो
रहे विदित
वेदना के पल-छिन
हो रहे भंग
सब शिलाखंड
एक सृष्टि भ्रंश
सौ ब्रह्मांड प्रकट
विकट-निकट
वह डमरू नाद
हरता विषाद
सब पाप ताप
कर भस्म
करे जो लेप
वही निर्लेप
करे संक्षेप
सदाशिव हरे हरे !!
हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!
बम बम  ....



11 comments:

  1. डमरू नाद
    हरता विषाद
    सब पाप ताप
    कर भस्म
    करे जो लेप
    वही निर्लेप
    करे संक्षेप
    सदाशिव हरे हरे !!,..शिवशक्ति और महिमा का अनुपम वर्णन..सुंदर अति सुंदर ..

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    1. आदरणीया जिज्ञासा जी
      हर हर महादेव !

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  2. हर हर महादेव । शिव के डमरू का नाद विषाद है लेता है ।कितनी मनोरम कल्पना । सुंदर प्रस्तुति ।

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    1. आदरणीया संगीता स्वरुप जी
      हर हर महादेव !

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
    हर-हर महादेव।

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    1. आदरणीय डॉ. साहब सादर प्रणाम
      हर हर महादेव !

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    1. आदरणीय संजय भास्‍कर जी
      हर हर महादेव !

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  5. महांकाल, महादेव, त्रिपुरारी मोक्ष-मुक्ति के दाता दूषित कलुषित मानस उनके कोप से ना बच पाता |
    सत्यम शिवम सुंदरम, एक अनुपम प्रस्तुति |

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  6. Replies
    1. आदरणीय MANOJ KAYAL जी
      हर हर महादेव !

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