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Thursday, April 6, 2023

मैं क्या कह दू




मैं क्या कह दू ?

खुद से !

कि
मौन हो जाऊ...

बंद कर दू
व्यर्थ जतन सारे ,

स्वयं को ही
मनाने के...

आते हो जब मुझे
सौ बहाने !

रूठने के
टूट जाने के !

अपनी ही
गलियों में !

भटकता
फिर रहा हूँ
सदियों से...

तुम 
ये कहते हो ,

तुम
जान पाए थे !

कि 
जिस लम्हे,

मैंने
धरा था मौन...

और तुम
बौखलाए थे ?

मैंने
मुखर होना
वही तो सीखा था !

वहीँ
कुछ हुनर भी
आजमाए थे ...