Thursday, April 6, 2023

मैं क्या कह दू




मैं क्या कह दू ?

खुद से !

कि
मौन हो जाऊ...

बंद कर दू
व्यर्थ जतन सारे ,

स्वयं को ही
मनाने के...

आते हो जब मुझे
सौ बहाने !

रूठने के
टूट जाने के !

अपनी ही
गलियों में !

भटकता
फिर रहा हूँ
सदियों से...

तुम 
ये कहते हो ,

तुम
जान पाए थे !

कि 
जिस लम्हे,

मैंने
धरा था मौन...

और तुम
बौखलाए थे ?

मैंने
मुखर होना
वही तो सीखा था !

वहीँ
कुछ हुनर भी
आजमाए थे ... 




14 comments:

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    1. आदरणीया संगीता स्वरुप (गीत) जी ! सादर प्रणाम !
      12 वर्षों के दीर्घतम विलम्ब के बाद आभार प्रकट करते हुवे हर्षित भी हूँ और क्षमाप्रार्थी भी
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  2. मुखरित मौन,सुंदर अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. आदरणीया स्वेता सिन्हा जी ! सादर प्रणाम !
      रचना को मंच प्रदान करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  3. Replies
    1. आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी ! सादर प्रणाम !
      आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  4. किसी की बौखलाहट में दबने सिसकने के बजाय मुखर हो जाना वाक ई अच्छा हुनर है ।
    वाह!!!
    लाजवाब ।

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    1. आदरणीया सुधा देवरनि जी ! सादर प्रणाम !
      आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  5. वाह! सुनना और कहना किसी कला से कम नहीं

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    1. आदरणीया अनीता जी ! सादर प्रणाम !
      आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  6. भटकता
    फिर रहा हूँ
    सदियों से...
    आभार
    सादर

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    1. आदरणीया सुधा अग्रवाल जी ! सादर प्रणाम !
      आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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  7. विकल मन की मार्मिक अभिव्यक्ति तरुण जी।मौन की भाषा हर किसी को समझ नहीं आती, वहीं किसी का मुखर होना हर किसी को सहन नहीं हो पाता।हार्दिक बधाई के साथ शुभकामनाएं 🙏

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    1. आदरणीया रेणु जी ! सादर प्रणाम !
      रचना को पढ़ कर सहज विस्तृत एवं उत्साहवर्धक टिपण्णी करने का हुनर अब लुप्त प्राय: हो चला है , आपकी प्रतिक्रया सर माथे
      आपका बहुत बहुत आभार , अभिनन्दन !
      आशीर्वाद बनाये रखे !
      जय भारत ! जय भारती !

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