अक्षत
कुछ पुष्प
और
अक्षत के
दानो से
रीझ जाते है
देवों के अराध्य
ऐसा
क्या है
कि अक्षत के
आधे ही
दाने से
तृप्त
हो जाती है
वसुंधरा
और
सुदामा को
मिल जाता है
अतुल्य वैभव
निश्चय ही
निश्छल
भाव ही
होता है
अक्षय
और
स्वीकृत
उन चरणों को
जिन्हें
मां लक्ष्मी
सराहती है |
सभी सह्रदय भगवद भक्तों को अक्षय तृतीया की पुन्य वेला पर अक्षय शुभकामनाये |
ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नम: |
ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नम: |
आप को भी अक्षय तृतीय की अक्षय शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteआपको भी शुभकामना!
ReplyDeleteक्या है
ReplyDeleteकि अक्षत के
आधे ही
दाने से
तृप्त
हो जाती है
वसुंधरा
और
सुदामा को
मिल जाता है
अतुल्य वैभव
निश्चय ही
निश्छल
भाव ही
होता है
बहुत सुंदर पावन भाव लिए रचना ....इस शुभ तिथि की शुभकामनायें आपको भी.....
अक्षय तृतीया के मर्म को समझाती सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया अनीता जी ! नमस्कार !
Deleteआपको व स्नेहीजनो को ,अक्षय तृतीया की, बहुत बहुत शुभकामनाएं !