Monday, August 23, 2010

जीवन की पाठशाला में

क्रोध की सीमा
और
मर्यादाओं के भंग तक
रोज तमाशों से
गुजरता हु
भोगता हूँ
अपने ही
उपेक्षित व्यवहार से
उपजी वित्रश्ना
और
दुर्व्यवहार को |

सीखता हू
सोचता हू
और कितना
कब तक
सीखना
सहना
बाकी है
जीवन की पाठशाला में |

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