Friday, February 25, 2011

फाटक रहित रेलवे क्रासिंग

देश खडा है
बैलगाड़ी में
लादे
अपेक्षाओं के
अनबिके धान
और
निचुड़े पसीने वाला
पिरोया हुवा
किसान/ मजदूर
इस ओर
जिधर से
पगडंडी
गाँव को जाती है
उधर
पटरी के
उस तरफ
अनियंत्रित
शहर है
स्वछंदता
और
व्यस्तता की
धूल से अटा
बीच में
पटरी है
विकास की
जो
राजधानी
ले जाती है
अपराधियों
बलात्कारियों
देशद्रोहियों
और
चाटुकारों को
कल ही
गाव का हरिया
और
परसों
शहरी
सरिता की
लाशें
कटी मिली थी
इस
बगैर फाटक की
रेल लाइन पर |

No comments:

Post a Comment