ये राहें तरक्की औ वो रोड़े क़यामत ...
सड़क
जो काटती थी
उसे सड़क
जो काटती थी
हर तरह
हर तरफ
दिन रात
पहाड़ ही की
एक दिन
उस पर ...
चुप-चाप |
#landslide
फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"