एक छोटी सी कविता ,
मेरी गोद में
आ बैठी ,
और बड़े प्यार से ,
मेरे कानों में ,
कुछ बोल गयी |
उसका मतलब ,
तो ना समझ पाया ,
अब तक ,
पर ,
उसका वो मेरी तरफ
आना
और
मेरी गोद में बैठना ,
साधिकार ,
निश्चय ही
वो एक लम्हा
बन गया
मेरे लिए ,
छंद भी ,
गीत भी ,
रस भी ,
सच है
कि जब कविता होती है
तो सब होता है |
और
जरुरी नहीं
कि
जब सब हो ,
और
कविता भी हो !
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